Today is the death anniversary of Pujya Bapu, Mahatma Gandhi who sacrificed his life for all of us. The Mahatma would have certainly accomplished his dream of "unto the last" and "village self-governance” if he would have got some more span of life. I pay my sincere homage to Bapu.
Last few months I was suffering from severe
backache and hence was unable to go to the people regularly. Now I am perfectly
fit and fine. I have once again started serving the people as usual. Many of
the fellow countrymen have expressed their concern towards my health and have
extended their wishes to me. I am thankful to all for their love and affection
Post 1947, the corruption in India raised by
leaps and bounds. Life of the common people got difficult more and more.
Therefore the entire India stood united in the Lokpal andolan. Lokpal Act got
the final nod from Hon'ble President of India on 1st January 2014. The law
itself makes it mandatory for central government to appoint the lokpal within a
time limit of one year. However, the government formed by constitution has
breached the law of the parliament which too is formed by constitution. Neither
the Lokpal is visible in the Center, nor the Lokayuktas in the states.
In the past, even after its written assurance to
me while ending my fast on Ram Leela maidan in 2011, the previous government
evaded passing the lokpal bill. Therefore, I was compelled to have another fast
in Ralegansiddhi in the month of December, 2013. The people stood by it and
government was compelled to pass the Lokpal Bill. The people who came into
power later have been staunch supporters of Lokpal in the past history. The
then Leader of the Opposition in Rajya Sabha; Shri Arun Jetleyji has written me
a letter endorsing his party's full support to early appointment of Lokpal. The
then Leader of the Opposition in Lok sabha, Shrimati Sushama Swarajji has also
preferred for early appointment of Lokpal. I am surprised that after the Prime
Minister Shri Narendra Modiji's taking over the command, BJP has taken a
complete 'U' turn on the issue of Lokpal and even after having stabilized the
at Center, the government failed to appoint the Lokpal. Meanwhile the Supreme
Court of India has also issued the directions in this regard, but Lokpal is not
appointed yet. The government should come transparent before the people and
should explain why it is afraid of appointing the Lokpal and if not so what is
the reason behind not appointing the Lokpal? They promised during elections
that their government will priorities the issue of tackling the corruption;
however no action is visible.
In the meanwhile, irrespective of my ailment, I
wrote three letters to the Prime Minister. The first letter I wrote on 27th
August 2014, second on 18 October 2014 & third letter on 1 January 2015.
Unfortunately, the Prime Minister's office remained inactive. I am enclosing
all three letters with this release to make the fellow countrymen aware of the
facts.
The new government has time and again promised
the people of bringing the "achchhe din" or good days ahead, however;
barring to a few capitalists, none of the common men are experiencing it. On
one hand the statements provoking communalism are coming up frequently while on
the other hand labor laws are being changed against the interests of hard
working laborers. The farmer’s organizations across the country are meeting me
and insisting to initiate agitation against the new ordinance in the Land
Acquisition Act 2013 which is brought hastily to uproot the farmers. The new
government is bypassing the parliament to bring a new 'Ordinance Raj' which is
not acceptable and Hon'ble President of India also recently has expressed his
concerns towards it. The people who run government should not bring such
dictatorship. This ordinance might be fair technically but it is not fair
democratically. The farmers cannot be suppressed only because so called
development is desired by a few select capitalists. This is Bapuji's country
and the true development can be achieved only through gram swaraj and not at
the cost of farmer’s livelihood. The new government should understand this as
early as possible. I assure the farmers across the country that i will fight
for this cause also along with Lokpal. We will unite all farmers associations
and take the fight ahead. I will fight for farmers, I am also a son of a
farmer.
Preparations are on and soon we will constitute
a new team to take on the andolan ahead. We will see to it that only dedicated
selfless people join us and not the opportunists. Youth across the country is
willing to join us in order to save this country from corruption and crony
capitalism. I welcome them all. Training of activists is a routine practice at
my village, Ralegan Siddhi. All those activists also shall be joining us. The
advanced media center at Ralegan Siddhi is also ready where from I can reach to
the people through video conferencing.
I have decided since my early age that I will
live and die also for my nation. While reiterating my commitment towards
eradication of corruption I appeal the fellow countrymen to get ready for a new
struggle to make India corruption free.
Jay Hind!
Sincerely,
K. B. alias Anna Hazare
Address for communication:
Bhrashtachar Virodhi Jan Andolan Nyas
Ralegan Siddhi, TQ: Parner
Dist : Ahemadnagar
Maharashtra - 414302
Phone: 02488-240401
Email: annahazareoffice@gmail.com
लोकपाल के लिए फिर से
आंदोलन...
आज
गांधीजी का पुण्यस्मरण दिन एवं हुतात्मा दिन है। हम सबके लिये गांधीजीने शहादत दी।
उस महात्मा को ज्यादा आयु मिलती तो शायद अंत्योदय और पुरे भारत में ग्राम स्वराज का अपना सपना
वो पुरा कर लेते। गांधीजी की स्मृती को मै विनम्र वंदन करता हूं।
विगत
कुछ महिनोंसे मै पीठ की दर्द की वजह से लोगों में नियमित रूप से नही जा सका। अब
मेरा स्वास्थ्य बिलकूल ठीक है। जनसेवा के लिए मै फिर पहले जैसा काम करूंगा ।मेरे
स्वास्थ्य कें बारे में बहोत सारे देशवासीयों ने आस्था के साथ पुछताछ की एवं अपनी
सद्भावनाएं प्रकट की, मै
उनके प्रति मन सें आभार प्रकट करता हूं।
देश
में दिन ब दिन भ्रष्टाचार बढते गया। सामान्य लोगोंका जीना मुष्कील हो गया था। इस
लिए देश की जनता ने लोकपाल, लोकायुक्त के लिए आंदोलन किया।
लोकपाल कानून पर 1 जनवरी 2013 को राष्ट्रपतीजी की मुहर लगी थी। खुद कानून में
ही प्रावधान था की एक वर्ष के अंदर लोकपाल की नियुक्ती होना अनिवार्य है। लेकिन
संविधान के आधार पर बनी संसद की संविधान से ही बनी सरकार ने पूरी तरह अवमानना की।
ना ही केंद्र में लोकपाल का गठन हुवा, ना राज्यो में लोकायुक्त आये ।
मेरे रामलीला मैदान के 2011 के अनशन के बाद लिखीत आश्वासन देने के बावजूद
भी पुरानी सरकारने लोकपाल बिल पास नही करवाया। रालेगन सिद्धी मे मैने फिर एकबार
दिसंबर 2013 में अनशन किया। उसमें देश की जनता शामिल हुई।
मजबूरन सरकार को लोकपाल कानून लाना पडा। आज सत्ता में आये हुवे लोगों नें उस वक्त
तो बडे जोर शोर के साथ लोकपाल का समर्थन किया था। उस वक्त राज्यसभा में नेता
विपक्ष रहें अरुण जेटलीजी ने मुझे पत्र लिख कर समर्थन दिया था। नेता विपक्ष
श्रीमती सुषमा स्वराजजी ने लोकसभा में मेरी सराहना करते हुअे लोकपाल को जल्दी लाने
की वकालत भी की थी। मुझे आश्चर्य है की जैसे ही प्रधान मंत्री श्री नरेंद्र मोदीजी
ने कमान संभाली, सरकार
ने लोकपाल के प्रति अपने रवैय्ये में बडा "यू टर्न" लिया और सरकार के कामकाज संभालने आठ महिने बित
जाने पर भी लोकपाल का गठन नही हुवा। इस बीच उच्चतम न्यायालय ने भी सरकार को लोकपाल
के बारे में कुछ निर्देश दिये; फिर भी लोकपाल नही बना। सरकार
को खुलकर लोगों के सामने आना चाहिये और बताना चाहिये की लोकपाल से वह इतना डरती
क्यों है और अगर डरती नही है तो फिर क्या कारन है की लोकपाल गठीत नही हो रहा है? सरकार सत्ता में आने से
पहले बार बार देश की जनता को आश्वासन देती रही की, हमारी
सरकार सत्ता में आने के बाद भ्रष्टाचार के विरोध की लढाई को प्राथमिकता देंगी।
इस
बीच बीमार होने के बावजूद मैने प्रधानमंत्रीजी को तिन पत्र लिखे। पहला पत्र 27 अगस्त 2014 को लिखा और स्मरण हेतु दुसरा पत्र 18 अक्तूबर 2014 को लिखा। तिसरा पत्र 1 जनवरी 2015 को लिखा।
दुर्भाग्य से प्रधान मंत्री जी ने कोई कार्रवाई नही की। तिनों पत्रोंकी प्रतिया मै
इस विज्ञप्ती के साथ जोड रहा हूं, ताकि देशवासियोंको पुरी
जानकारी हो।
नई
सरकार ने अच्छे दिन लाने के वायदे तो खूब किये लेकिन चंद पुंजीपतीओं को छोड किसी
भी वर्ग को अच्छे दिन दिखाई नही दें रहे है। एक तरफ जहां सांप्रदायिकता को बढावा
देते वक्तव्य आ रहे है। वहीं दुसरी तरफ कामगार कानून में बदलाव कर मेहनत करने वालो
के बुरे दिन लाये जा रहे है । देश के किसान संगठन मुझे मिलकर कह रहे है की भूमी
अधिग्रहण कानून में संशोधन वाला जो ऑर्डिनन्स हडबडी में लाया गया है उससे किसान
ध्वस्त हो जायेंगे इस कानून के विरोध में आंदोलन करना जरुरी है। सरकार संसद
को नजरअंदाज कर ज्यो ऑर्डीनन्स राज लाया जा रहा है उसपर तो स्वयं राष्ट्रपतीजी ने चिंता
जताई। सरकार चलानेवाले लोगोंने इस तरह तानाशाही की ओर नही जाना चाहिये। यह
ऑर्डीनन्स वाला मामला तांत्रीक रुप सें भले ही ठीक हो, लेकिन
लोकतांत्रिक दृष्टी से कतई ठीक नही। इस देश के चंद पुंजीपती जो कथित रूपसे विकास करना चाहते है वह
विकास किसानों के दमन से नही होना चाहिये। यह पूज्य बापूजी का देश है और यहां
विकास का मार्ग ग्रामविकास सें ही हो कर गुजरता है, किसानों के कफन सें नही। यह बात इस सरकार को वक्त
रहते समझ लेनी चाहिये। मै देश के किसानोंको आश्वस्त करता हूं की लोकपाल के साथ साथ
इस प्रश्न पर भी आंदोलन करेंगे। सभी किसान संगठनों के साथ मिलकर हम आंदोलन करेंगे
और किसानों के हक के साथ किसी को खिलवाड नहीं करने देंगे। मै किसानों के लिये
आंदोलन जरूर करूंगा। क्योंकी मै भी एक किसान का बेटा हूँ।
नये
आंदोलन की योजनाएं बन रही है। शीघ्रही हम नये टीम का गठन करेंगे। संगठन की
आवश्यकता को लेकर विचारविमर्श चल रहा है। संगठन में अवसरवादी लोगों की नही, प्रामाणिकता से काम करने वालों की जरूरत है। देश के बहुत
सारे युवा अब फिर सें राष्ट्र को भ्रष्टाचार एवं अमानवीय पुंजीवाद सें बचाने के लिये
आंदोलन मे शरीक होना चाहते है, उनका स्वागत है । रालेगन सिद्धी में कार्यकर्ता
प्रशिक्षण निरंतर चलता है, उन सभी कार्यकर्ताओं को भी राष्ट्र कार्य में
जोडा जायेगा। रालेगन
में मीडीया सेंटर (Rural
Development Information Centre) अब पूर्ण रूप से तैय्यार हो
रहा है जहां से मै व्हीडीओ कॉन्फरन्स के जरिये देश के लोगों तक पहूंच सकता हूं।
मेरी
हर सांस देश को समर्पित है। मैने मेरी युवा उम्र में ही प्रतिज्ञा की थी की जिऊंगा तो
देश के लिये और मरूंगा तो भी देश के लिये। भ्रष्टाचार के खिलाफ लडने की
प्रतिबद्धता को दोहराने के साथ साथ मै देशवासियों को फिर एक बार आंदोलन के लिये
तैयार रहने की अपील करता हूं। जो कार्यकर्ता इस आंदोलन से जुडना चाहते है, उन्होने
निचे दिए हुए पतेपर फोनद्वारा, इमेलद्वारा या वेबसाईटपर
रजिस्ट्रेशन करके संपर्क करे।
जयहिंद।
भवदीय,
कि. बा. तथा अण्णा हजारे
संपर्क
के लिए पताः
‘भ्रष्टाचार विरोधी जन आंदोलन न्यास’
रालेगणसिद्धी, ता. पारनेर,
जि. अहमदनगर
महाराष्ट्र
414302, फोनः (02488) 240401
ईमेल- annahazareoffice@gmail.com
SATURDAY, 18 OCTOBER 2014
To,
Shri
Narendra Modiji
Hon’ble
Prime Minister of India
Raisina
Hills,
New Delhi
Hon’ble
Prime Minister Sir,
Post
1947, money laundering and overseas protection to black money have been
critical and crucial issues of common concern. On one hand the common man is
facing corruption and inflation and on the other hand; corrupt high rank people
are protecting their black money through offshore banking. The erstwhile UPA
led government was under tremendous pressure from common people and the
people’s movements on these issues, however; it completely failed to deliver.
As a result, public opinion went against the UPA led government resulting into
transformation of power thus bringing NDA into the power.
On this
background, during the election campaign, you have yourself assured the nation
that your government, if voted in power, will bring back the black money abroad
within one hundred (100) days. After having bestowed power to NDA, people were
hoping to see the overseas black money being brought back to India. After
swearing-in ceremony, the government has also announced constitution of a
Special Investigation Team (SIT) and this step has been widely welcomed by the
common people.
It was
yesterday that common people were shocked to see the affidavit submitted by
government to the Supreme Court of India whereby the government expressed its
inability to disclose the names of those having black money overseas either
through offshore banking or through other means. The technical difficulties
mentioned in the said affidavit were very much existing when you promised to
bring the black money back in 100 days in election campaign. This has created a
doubt among common people whether declaration on bringing back the black money
was merely an election promise to add votes or what? During nationwide
campaign, yourself has time and again promised people that the black money will
be brought back at any cost and that eradication of corruption will be a
priority for new government.
Now the
NDA led government being in power for more than past five months, the issues
like black money or appointment of Lokpal are not yet seeing light of the
day.
Sir, the
fellow countrymen have been immensely impressed by your speeches during your
recent visits to Japan and USA. I am too thoroughly impressed. However, with a
heavy heart now I am to say that there is a huge gap between what you say and
what your government is delivering. Not the speeches but actions bring
transformation.
On behalf
of our fellow countrymen, I request you to have a strict and clear strategy on
this important issue. In public matters, not the technicality but morality
matters more. The names of those who possess offshore black money, must get
disclosed, no matter how and what technical difficulties the government faces.
Every difficulty is a test of honesty and I am sure the countrymen will stand
behind the government to win in these testing times.
Sir, you
have a diverse experience of power and governance. I humbly submit that I am
a Fakir having nothing with me except dedicated love and
affection for our country. Since the time I was 25 years old, I have been
determined that I will live and die for my country only. I can never tolerate the
corruption. Therefore, I have my own stern views on black money and corruption,
and hence this
letter.
I would
also like to gently remind you of my letter dated 28th August
through which I have expressed my concerns towards appointment of Lokpal and
other issues related to prevention of corruption. I have received no response
on the said letter. Enclosed please find a copy of the same for your ready
reference. Hope you will provide a due attention to all the issues raised
therein and take necessary decisions in this regard.
Since
last 35 years I have taken up many agitations; not against any person or any
party but in the larger interests of our people and our country. Bringing black
money back is an important issue and if required I will not go back from
agitating for the issue. I am sure that your government will take a stern
action and a firm stand on this important public issue, irrespective of all
difficulties.
Thanking
you and extending my best wishes to you on the occasion of Diwali,
Sincerely,
K B alias
Anna Hazare
(Ralegansiddhi, 18th Oct 2014)
काले धन के बारे में
प्रधानमंत्रीजी को चिठ्ठी...
प्रति,
सम्माननीय
श्री नरेंद्र मोदीजी,
प्रधानमंत्री, भारत सरकार,
रायसीना
हिल्स, नई दिल्ली.
महोदय,
हमारे
देश में गैरकानुनन व्यवहारोंके जरीये इकठ्ठा किया हुवा काला धन विदेश में छुपानें
की राष्ट्रविरोधी गतिविधिया स्वतंत्रता के बाद एक बहुत बडा आर्थिक प्रश्न बनकर रह
गयीI जहां एक
तरफ देश का आम आदमी महंगाई एवं भ्रष्टाचार से संत्रस्त है, वहीं
दुसरी ओर वरिष्ठ स्तर पर बडा भ्रष्टाचार करनेवाले अपने काले धन को विदेशोमे छुपाकर
दिन-ब-दिन अपनी गैरकानुनन आय बढाने में जुटे हैI इस
प्रश्न को लेकर पुरे देश में लगातार चर्चा चलती रही हैI इस मुद्दे को लेकर पूर्व रालोआ सरकार पर
लोगोंका एवं आंदोलनोंका दबाव बढ गया थाI लेकिन उस सरकार द्वारा काले धन को वापस लाने के मुद्दे पर कोई कोशिश नही
की गयी; नतीजन जनमत लगातार उस सरकार के खिलाफ जाकर रह गया I
ऐसी
स्थिती में लोकसभा चुनाव के पूर्व आपने अपने प्रचार द्वारा देश को आश्वस्त किया था
कि, आपकी सरकार सत्ता में आने के बाद एक सौ (१००) दिनोंमे काला धन वापस लाने
के लिये प्रतिबद्ध होगीI देश की जनता आपको सरकार बहाल करने के पश्चात हर्षोल्हास के साथ आशा कर रही
थी कि, अब काला धन अवश्य वापस आयेगा और पुरे देश को भ्रष्टाचार,
महंगाई से राहत मिलेगीI शपथग्रहण के तुरंत बाद आप ने एक एस.आय.टी. (जांच टीम) के गठन की घोषणा भी
की थी जिसके कारण लोगोंकी उम्मीद बढ रही थीI
कल
जब सुप्रीम कोर्ट में सरकार ने ह्लफनामा दे दिया की काला धन छुपानेवाले लोगों के
नाम उजागर नहीं किये जा सकते, तब सब को ही आश्चर्य का झटका
लगाI सौ
दिनों में काला धन वापस लाने की घोषणा करते समय इस पर सोचा जाना चाहिये था,
क्योंकी यह करने में जो तांत्रिक कठीनाईयां थी (जिनका जिक्र हलफनामे
में है) वह तो प्रचार के दौरान लोगों को आश्वस्त करते
वक्त भी मौजूद थीI आम
जनता में अब संदेह होने लगा है की काला धन वापस लाने की घोषणा क्या मह्ज एक चुनावी
घोषणा थी? चुनाव के दौरान आपने बार बार जनता से वादा किया था की, भ्रष्टाचार के खिलाफ कारगर कदम उठाना आप के सरकार की प्राथमिकता होगीI अब आप
की सरकार करीबन पांच माह पुरे कर चुकी है, लेकिन चाहे वो
काले धन की बात हो या लोकपाल नियुक्ती की, कोई कदम उठाये
दिखते नही हैI इससे
लोगो को आशंका हो रही है की कहीं भ्रष्टाचार मुक्त भारत की घोषणा वोट बटोरने का
महज एक चुनावी तंत्र तो नही था?
लोकसभा
चुनाव के उपरांत आपकी जपान एवं अमरीका यात्रा के दौरान आप ने जो भाषण दिये, उससे देश
प्रभावित हुवा; मै खुद भी बहुत प्रभावित हुवा था, लेकिन दुख के साथ कहना पड रहा है की कथनी और करनी में बहुत अंतर पड रहा है I जनता ने
पिछले ६७ सालोमे अनुभव किया है की मात्र भाषण से परिवर्तन संभव नही है, कथनी और करनी को जोडना जरुरी हैI संत कबीर कहते है,
“कथनी मिठी खांड सी, करनी विष की लोय I
कथनी छोड करनी करे तो, विष का अमृत होय II”
देश
की जनता की ओर से मै बिनती करता हुं की, इस मुद्दे पर सरकार कडा रुख
अपनाये I सार्वजनिक
मामलों में तांत्रिकता को नही, नैतिकता को महत्व दिया जाना
चाहिये I काला धन छुपाने वाले बेईमानों के नाम तुरंत
उजागर किये जाने चाहिये, चाहे सरकार को कितनी भी तांत्रिक दिक्कते
क्यो न हो I आनेवाली
हर दिक्कत एक कसौटी होती है, लेकिन इस कसौटी में पुरा देश
आपके साथ अवश्य खडा रहेगा एवं दिक्कतें भी दूर हो
जायेगीI सत्य
परेशान जरूर होता है, पराभूत नही I अगर
जनता का ‘काला धन वापस लाया जा सकता है’ यह विश्वास टूट गया तो दिक्कते बढेगी, कम नही होगी I
आप
के पास सत्ता का बडा अनुभव हैI मै तो एक फकीर हुं, जिसके पास कोई धन-दौलत नही,
कोई सत्ता नही, बस है तो राष्ट्रप्रेम है I मैने
पच्चीस साल का था तब से संकल्प किया है जब तक जिउंगा, समाज
और देश की सेवा के लिये ही जीऊंगा और जिस दिन मरुंगा, देश और
समाज के लिये ही मरुंगा I बढता हुवा भ्रष्टाचार मुझसे कभी सहन नही होता, अत:
काले धन के मुद्दे पर भी मैने कडा रुख अपनाया था और अपनाउंगा I इसीलिये
मैने आपको यह पत्र लिखा है I
मै
आपको स्मरण देना चाहता हुं की, लोकपाल और अन्य मुद्दोंको लेकर
मैने २८ अगस्त को आपको एक पत्र लिखा था जिस पर कोई जबाब नही मिला I उस पत्र
की प्रतिलिपी भी संलग्न कर रहा हुं I आशा है आप सभी मुद्दोपर विचार करेंगे एवं उचित निर्णय लेंगे I
मैने
विगत पैतीस सालों में कई आंदोलन किये, लेकिन किसी व्यक्ति या
पक्ष पार्टी के विरोध में नही, केवल समाज और देश की भलाई के
लिये I काला धन
वापस लाना देश का अहम मुद्दा है और जरुरत होने पर मै इस मुद्दे पर फिर आंदोलन करने
से पीछे नही हटूंगा I आशा है सरकार इस पर कडे से कडे कदम उठायेगी, चाहे
कितनी भी दिक्कते क्यो न आये I
धन्यवाद
और दिवाली की शुभ-कामनाओं के साथ,
भवदीय,
कि.
बा. तथा अण्णा हजारे
(रालेगणसिद्धी, 18 अक्तुबर
2014)
FRIDAY, 15 AUGUST 2014
It is
noticed that some organizations – Jantantra Morcha, India against Corruption
& many more are putting up my name with their organizations and in a way,
misusing it. I am neither connected with any organization other than
“Bhrashtachar Virodhi Jan Aandolan” nor have I founded, registered or have
associated with any other organization in the capacity of an office bearer or
in any other manner. Possibly some organizations with whom I am not connected
might be using my name for their selfish purpose. There may be a possibility of
unfair malpractices to earn money. Throughout my life I have never ever
accumulated wealth, and not maintained any bank balance. Use of my name for
personal gains or for political motives is certainly not justifiable and should
be condemned.
“Bhrashtachar
Virodhi Jan Aandolan Nyas” was registered with the Charity Commissioner eighteen
years ago to fight against corruption. Its head quarter is situated at Ralegan
Siddhi, Tehsil Parner, District Ahmednagar, Maharashtra State, 414302. Its area
of operation is all over India. In the beginning the area of operation was
restricted to the state of Maharashtra. At present its network is spread over
33 Districts & 252 Tehsils in Maharashtra. It is instrumental to enact
seven major statutes beneficial to the society at large like RTI (Right to
Information), Office Deferment etc. It has a very strong and vibrant
organizational structure at the District & Tehsil level. It has never
sought for any funds from within or outside the country.
I have a
firm belief that, a dream of corruption free India can be achieved mainly
through cleaning of the political system which will lead to eradication of
corruption. Past 30 years I am working for this cause.
As a
result of the agitations of this movement six corrupt ministers of our state
and more than 400 corrupt officers were removed. The movement has objectives to
be instrumental to enact statutes like - Right to Reject (RTR), Right To Recall
(RTC) & Empowering Gramsabha. This organization aspires to help farmers to
get fair and ruminative prices for their products on the basis of cost of cultivation.
And now “Bhrashtachar Virodhi Jan Aandolan Nyas” has spread its activities in
many other states. The goal of corruption free India can be achieved through
transformation of systems and changing mindsets of people and the movement is
also well aware that removal of ministers and some individuals is not
sufficient enough.
Our
country has witnessed that people gathered at Ramleela Maidan as also in
various parts of the country in huge numbers to participate in the agitation on
16th August 2011, to pursue the government to bring out a
robust Lokpal Bill. During the past 42 years various governments tabled the
Lokpal bill 8 times, however the bill could not be passed. The strong public
opinion forced the government to pass the Lokpal & Lokayukta Bill. This is
a step towards change and reform in the system to eradicate corruption.
Yet
another movement needs to be started to have a corruption free India. Which
ever party be in the power, there will always be a need to create non-violent
pressure of the people’s opinion. Non-violent struggle is the solution for
various problems of the country as well as to accomplish the dream of
corruption free India.
Thousands
of volunteers are joining this movement. The organization should be of upright
patriotic volunteers of good character, having a sense of social
responsibility. We should not forget the sacrifices of the great martyrs like
Bhagat Singh, Rajguru, Sukhdev & many more. It may be difficult to find
volunteers of such characteristics, but not impossible. There is huge number of
selfless social workers in our country dedicated to the service of society
& nation. We need to reach out to such people & raise a nationwide
movement.
Hence the
existing committees of BVJA are being restructured. There will neither be a President
nor any office bearers. The new structure of the organization will be without
any hierarchy and all the members will only be volunteers without any
designation.
The
members of this movement will refrain from contesting any election. This
organization will of those who want to work for the betterment of the society
and nation, want to combat to bring reform in system, by non-violent path. They
should be prepared to go to jail while agitating in a non-violent way. The
father of our nation Mahatma Gandhiji had shown us the way.
I appeal
such men of character to please contact us at “Bhrashtachar Virodhi Jan
Aandolan Nyas”, At Post Ralegan Siddhi, Tehsil Parner, District Ahmednagar,
Maharashtra, and Pin-code 414302.
Those who
want to use the name of “Anna Hazare” for selfish motives, must keep away from
this. Only men of character with concern for the society and nation should join
this movement. For further clarification, you may contact on the address given
below. It may possibly take 5/10 or more years to form such a movement, but we
need only men of good character. For me, it is not so important how large is
the number of volunteers, but I do want the movement to be a value based one.
Mahatma Gandhiji did not form any committees in 1947. The workers dedicated to
the service of nation joined him for the success of the movement. We need
selfless workers.
Dt. 13
August 2014,
Ralegan
Siddhi.
Yours,
K. B. Alias Anna Hazare.
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