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कोरोना काल में ससुराल यात्रा - एक सुन्दर कविता

कोरोना काल में जब पहुंच गया ससुराल !
बहुत ही अजीब सा था वहां का हाल !!
घर की घंटी बजाते ही सास दौड़ी आई !
देख जमाई को आज, मजबूरी मे मुसकाई !!
बोली थोड़ी देर गेट पर आप ठहर जाओ !
वाश वेशन पर सैनिटाइजर से हाथ धो आओ !!
पढे लिखे हो चेहरे पर मास्क नहीं लगाया ?
घर पर ही रहना था किसी ने नहीं समझाया ??
खैर आ ही गए हो तो दरवाजे पर जूते दो उतार !
पैर धोकर आ जाओ चाय रखी है तैयार !!
मन मे उठा क्रोध पर कुछ कह नहीं पाया !
लगा जैसे जमाई नही, कोई राक्षस ससुराल आया !!
इज्जत तो सारी आज कोरोना ने हर ली !
बाकी की कसर सासू माँ ने पूरी कर ली !!
फिर बेआबरू हो कदम साली की ओर बढाया !
वहां से भी नकारात्मक सा उत्तर आया !!
वो बोली सामाजिक दूरी को समझ नहीं पाये ?
हमारे इतनी पास क्यूँ जीजाजी चले आऐ ??
दूर से ही करती हूँ आज आपको नमस्ते !
छोटे साले ने भी दूर से हाथ हिलाया, हंसते हंसते !! 
फिर ससुर जी की मधुर आवाज दी सुनाई !
कवारंटाइन करना रे, बाहर से आया है जमाई  !!
चाय हाथ में थी, पर नहीं जा रही थी गटकी !
चाय खत्म होते ही, लगाना चाह रहा था घुडकी !!
जो काम सरकार लोकडाउन मे नहीं कर पाई !
ससुराल वालों ने एक ही दिन में थी समझाई!
विनती करता हूं तुमसे इन हालात में ससुराल मत चले जाना मेरे भाई!🤔🤔🤔🤣🤣🤣 जन हीत में जारी ऐसी स्थिति में नहीं करे कही भी आना जाना

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